रात के ठीक बारह बजे, जब मैं अर्द्धनिद्रा में लेटा हुआ था, मेरे सात व्यक्तित्व एक जगह आ बैठे और आपस में बतियाने लगे : पहला बोला – “इस पागल आदमी में रहते हुए इन वर्षों में मैंने इसके दिन दु:खभरे और रातें विषादभरी बनाने में कोई कसर बाकी नहीं …
रात के ठीक बारह बजे, जब मैं अर्द्धनिद्रा में लेटा हुआ था, मेरे सात व्यक्तित्व एक जगह आ बैठे और आपस में बतियाने लगे : पहला बोला – “इस पागल आदमी में रहते हुए इन वर्षों में मैंने इसके दिन दु:खभरे और रातें विषादभरी बनाने में कोई कसर बाकी नहीं …
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